सर्वप्रथम तो आप सभी स्नेहिजनों का हार्दिक धन्यवाद जो इस ब्लॉग को ऐसा स्वागत मिला. लेकिन साथ ही इतने लंबे अंतराल के लिए क्षमा प्रार्थना भी. पिछले तीन दिन से यात्रा में था. अवसर मिला था वृन्दावन-गोकुल-मथुरा की पावन स्थली को पहली बार देखने का, तो ब्लॉग जगत से अनुपस्थिति रही. यात्रा के खट्टे-मीठे अनुभव संजो कर कल देर रात ही लौटना हुआ.
अमिताभ बच्चन का ब्लॉग जब से अस्तित्व में आया है, लगातार चर्चा में बना हुआ है. कोई ना कोई विवाद लगातार जुड़ता रहा है. कई लोगों ने अमिताभ द्वारा अंग्रेजी में ब्लॉग लिखने पर भी अपनी निराशा जताई. ब्लॉग जगत में भी गूँज सुनाई दी। बामुलाहिजा कटाक्ष किए गए.हिन्दी के विख्यात कवि डॉ हरिवंशराय बच्चन के पुत्र जो स्वयं हिन्दी फिल्मों से अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए, हिन्दी में ना लिखें तो आलोचकों को अवसर तो देंगे ही. अब समाचार आ रहा है कि वे जल्द ही हिन्दी में भी लिखना प्रारम्भ करेंगे.
वास्तव में अमिताभ भी उसी श्रेष्ठी वर्ग से हैं जिसका चिंतन मनन अंग्रेजी में ही आकार लेता है. प्रमाण है उनकी लिखी यह कविता जो उन्होंने अपनी बीमारी के कष्टकारी दिनों में ब्रीच केंडी हॉस्पिटल के गहन चिकित्सा कक्ष से लिखी थी. कहते हैं घोर कष्ट या परम आनंद के क्षणों में इंसान अपनी भावनाएं अपनी मातृभाषा में ही व्यक्त करना सहज पाता है. तो इसका क्या अर्थ लगाया जाए, यही ना कि अमिताभ की प्रथम भाषा अंग्रेजी ही है.
वैसे व्यक्तिगत रूप से हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है कि वे किस भाषा को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाना पसंद करते हैं. भाषा द्वितीय है भाव प्रथम. अमिताभ एक अच्छे लेखक हो सकते हैं. जैसा कि बच्चन जी ने एक बार कहा था, "जब कभी अमिताभ अपनी आत्म कथा लिखेंगे और लोग उनकी लेखनी से परिचित होंगे तो शायद मुझे भूल जायेंगे." अभी तक तो जो कुछ सामने आया है उसमें विवाद को न्योतने के सिवाय कुछ विशेष नहीं है. आशा करना चाहिए कि आगे कुछ बेहतर भी पढने को मिलेगा.
आप पढिये अमिताभ की ये कविता और साथ ही हरिवंश राय बच्चन जी का किया हुआ अनुवाद. (बच्चन जी की आत्म कथा के चौथे खंड 'दशद्वार से सोपान तक' से लिया गया.)
Breach Candy Hospital
I.C.U. Room No. 1 - Bombay
29th August 1982
Outside - Inside
Outside-
Black
Granite ugly rocks,
Turbulent mud-laden sea
Dark frightening clouds hovering above
Inside-
Whiteness, purity
Clean sheets, soft pillows
Gentle care, soft words
Solitude
And my agony.
- Amitabh Bachchan
'बच्चन' जी का किया अनुवाद-
बाहर-
ऊपर, मंडराते, डरपाते
अंधियाला छाते-से बादल
नीचे, काली, कठोर, भद्दी चट्टानों पर
उच्छल, मटमैली जलधि-तरंगों की क्रीड़ा
भीतर-
सब उज्जवल, शुद्ध, साफ
चादर सफ़ेद, कोमल तकिये,
धीमे-धीमे स्वर से सिंचित
ममतामय सारी देख-रेख
औ' मेरी एकाकी पीड़ा.
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ब्रीच केंडी हॉस्पिटल समुद्र तट पर है और ICU के कमरे से समुद्र का तटीय दृश्य दिखाई देता है. बरसात का मौसम था.
है ना सुंदर कविता? दिखता है यथार्थ, भोगा हुआ, सच्चाई से परिपूर्ण.
14 comments:
very nice ...thanks for sharing
खुब सूरत अनुवाद, शानदार पोस्ट
खुब सूरत अनुवाद, शानदार पोस्ट
खुब सूरत अनुवाद, शानदार पोस्ट
यह द्वन्द्व हो हमें रोज दीखता है जीवन में - अतीत और सुख, भविष्य और चिन्ता की रेखायें। ऐसा ही कुछ।
प्रसाद जी की कामायनी याद आ गयी इस पोस्ट की कविता पढ़ कर।
OOnchi Dukaan , Pheeka pakwan
OOnchi Dukaan , Pheeka pakwan
दिल के स्पंदनों को बहुत ही खूबसूरती से शब्द दिये हैं अमिताभ जी ने और अनुवाद ने उस पर चार चाँद लगा दिये. आभार इस प्रस्तुति का.
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आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं, इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.
एक नया हिन्दी चिट्ठा किसी नये व्यक्ति से भी शुरु करवायें और हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें.
यह एक अभियान है. इस संदेश को अधिकाधिक प्रसार देकर आप भी इस अभियान का हिस्सा बनें.
शुभकामनाऐं.
समीर लाल
(उड़न तश्तरी)
बहुत अच्छे। नियमित लिखें भाई!
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हिन्दी का इंटरनेट संसार, सीधे आपके द्वार ......! क्या आप हिन्दी भाषी है पर इंटरनेट पर आपको हिन्दी भाषा की वेबसाइट नहीं मिल पाती ? हिन्दी में समाचार,सर्च, अध्ययन सामग्री, कोई सूचना खोजते है पर सही वेबसाइट नहीं मिल पाती ? हिन्दी की अच्छी व उपयोगी साइटों की जानकारी नहीं है ? ~यदि हाँ तो आप नियनित रूप से इस वेबसाइट से यह सब जानकारियाँ पा सकते है . आप इसे अपने bookmarks में शामिल कर ले ताकि आपको पता (web address) याद न रखना पड़े .
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thanx but i'd read them many times already . write about ur experience of mathura trip pls.
बहुत अच्छा लगा अमिताभ जी की कविता पढ़ कर,very nice
@ अमिताभ फौजदार जी: जानकर अच्छा लगा कि आपको पसंद आया.
@ अरुण जी: धन्यवाद.
@ ज्ञान जी: सच है. कामायनी महाकाव्य की ही दो पंक्तियाँ हैं:
चिंता करता हूँ मैं जितनी उस अतीत की उस सुख की
उतनी ही अनंत में बनती जाती रेखाएं दुःख की.
@ anonymous: ऊंची दुकान??? जी श्रीमान, बड़ा एहसान.
@ समीर जी: आपका आभार. वास्तव में अमिताभ के अन्दर एक संवेदनशील कवि छुपा है.
@ अनूप जी: धन्यवाद. आवृत्ति बढ़ने का प्रयास करेंगे.
@ लल्लू जी: नाम भले जो भी हो पर काम आपने स्मार्ट किया है. मगर इस तरह कमेन्ट में अपने ब्लॉग का लिंक चिपकाना स्पैमिंग है. लोगों को पसंद नहीं आएगा.
@ मुनिश जी: I am still in the process of learing only and must confess that the current post has failed miserably in conveying what I actually intended. I wanted to express my opinion about Amitabh Bachchan writing his blog in English. But somehow the main idea got drifted away and his poem got the upper hand. Anyway, there must be few who read it for the first time. Thanks to you for valuable suggestion. Will definitely write about my Mathura trip soon.
@ रक्षंदा जी: एक बार फिर आपका बेहद शुक्रिया.
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