Saturday, January 10, 2009

गुनगुनी धूप में गुटरगूं - संचार क्रांति के हानि - लाभ

वीरू अब पानी की टंकी पर नहीं चढ़ते। शहर की लगभग हर चौथी इमारत की छत पर उग आये वैध-अवैध मोबाइल टॉवर बेहतर विकल्प बनकर उभरे हैं।

संचार-क्रांति के प्रत्यक्ष प्रमाण बनकर गर्व से तने हुए इन टॉवर्स ने चिट्ठी-पत्री को लगभग पूरी तरह चलन से बाहर कर ही दिया है। इनकी वजह से बेरोजगारी पर बाध्य ओरिजिनल संदेशवाहकों (कबूतरों) को इन की बढ़ती संख्या से आपत्ति होनी ही थी। विरोध-स्वरूप सभा का आयोजन तय हुआ तो स्वयं इस विराट लौह-जालों से अच्छी जगह कहाँ मिलती?

कोहरे में डूबी सुबहों और शामों के बीच दोपहर की हल्की गुनगुनी धूप मे पंख खोलने का मौका मिला तो सभा में उपस्थिति भी अच्छी दर्ज हुई। इस अवसर की दो तस्वीरें पेश हैं। घटना इसी जनवरी की है।



16 comments:

प्रवीण त्रिवेदी said...

अच्छी निगाह!!!

वैसे इसे कबूतरों का विरोध-प्रदर्शन ही माना जाना चाहिए!!

कुश said...

बहुत खूब है जी...

दिनेशराय द्विवेदी said...

वाकई सुंदर चित्र हैं।

Gyan Dutt Pandey said...

जानदार फोटो; शानदार ब्लॉग-पोस्ट।

जितेन्द़ भगत said...

आजकल धरना, हड़ताल वगैरह जोरों पर है:)

PD said...

बढ़िया है यह तो.. :)

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर चित्र!
हमारे यहाँ मोबाइल नहीं चलते। कबूतर ही काम आते हैं। ये हड़ताल पर जाएँगे तो हमारा क्या होगा?
घुघूती बासूती

अनूप शुक्ल said...

अच्छे फोटू हैं।

Smart Indian said...

सही पकडा है भाई. एक तरह से अच्छा ही है. पेड़ काटने के बाद भी कबूतरों को कुछ बसेरा तो चाहिए ही.

Arvind Mishra said...

चिंतन जमीनी और आँखे आसमान पर -लंबे समय बाद जोरदार जलवाफरोस हुए -शुक्रिया ,नियमित रहिये ! इमं टावरों पर शान्ति दूत ही नही बाज बहादुरों का भी अड्डा है और एंटिना पर इनकी बीट से संवाद संचार में कुछ ऐसी आवाजें आती हैं कि अमेरिकी वैज्ञानिकों को भ्रम हो गया था कि वे दूसरी सभ्यताओं से आ रही हैं.उनका तो शंका निवारण हो गया पर हम भी आगाह हो लें !

Abhishek Ojha said...

नजर-नजर की बात है !
कहीं इस सभा में पेड़ों की कमी पर भी तो चर्चा नहीं हुई?

Jimmy said...

bouth he aacha post kiyaa aapne


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naresh singh said...

श्री मान भूत नाथ जी, मैने आपका ब्लोग आज ही पहली बार पढ़ा है । और शुरू से लेकर आखिर तक पढ डाला कुछ एक दो पोस्ट को छोड़ कर सभी पोस्ट जानदार है । आपकी लेखनी आपकी विद्वता कि ओर इशारा करती है । काश आपको पहले पढ़ पाता । मै टिप्पणी करू या ना करू लेकिन आपकी सभी पोस्ट अब जरूर पढूगां । हो सके तो एक बार इस साथी के ब्लोग पर खाली समय मे जरूर तशरीफ लाये ।

Unknown said...

hi, it is nice to go through ur blog...well written...by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?

now a days typing in an Indian language is not a big task...recently i was searching for the user friendly Indian Language typing tool and found.. "quillapd". do u use the same....?

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Science Bloggers Association said...

हानि लाभ बताने के लिए आभार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

admin said...

KRIPYA AAGE BADHTE RAHEN.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

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